केजरीवाल–भक्ति

नवकंजलोचन, कंजमुख, करकंज पदकंजारुणं। रामजी से शुरू हो कर, फिर राग दरबारी के रंगनाथ को सुशोभित करते हुए यह उक्ति आज दिल्ली के महान क्रांतिकारी, यशस्वी, धर्मरक्षक, दिल्लीश्वर मुख्यमंत्री पर आ टिकी है। जिस व्यक्ति के नाम ही अरविंद हो, वो तो नखशिख कमल होगा ही, इसमें कोई दो राय नहीं।


मुझ पर यह कई दफा ये आक्षेप लगाया जाता है कि मैं मोदी भक्त हूं। पर सच बताऊं आज ८ साल हो गए, पर मैने कभी मन की बात नहीं सुनी। मैं ढंग से घर वालों की नहीं सुनता तो मोदीजी की मन की बात क्यों सुनूं? पर जब मुख्यमंत्री महोदय बोलने आते है, एक सहज आकर्षण मुझे खींचता हुआ उनके पास ले चलता है। अरविंद केजरीवाल। इस नाम में अनंत संभावनाएं छुपी हुई है। शहद से मीठी वाणी, इतने अपनेपन से कही हुई बातें, आप को इस व्यक्ति के कोई दिव्य पुरुष होने का आभास दिलाते हैं। इतनी आत्मीयता, सहसा विश्वास नहीं होता कि इस पापी संसार में, कोई ऐसा व्यक्ति भी जन्म ले सकता है?


अभी–अभी इस महानुभाव का एक ताज़ा भाषण सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आप मानोगे नहीं, हाथ जोड़ के जैसे अर्जुन श्रीकृष्ण को सुन रहे थे, वही अवस्था मेरी हो गई थी। इनकी चुनाव गीता का अमृतपान मुझे सात समंदर पार हुआ, इस वजह से मैं खुद को भाग्यशाली समझता हूं। कभी–कभी ये मुझे विष्णु के ग्यारहवें अवतार लगते हैं (दसवां तो कल्की के लिए रिजर्व्ड है, इसलिए ग्यारहवें)।


पंजाब चुनाव बस अब कुछ दिन ही दूर है। अवधूत हो चुके दिल्लीश्वर, इन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री का दावेदार एक उच्चकोटी के व्यक्तित्व को बनाया है। जैसा कि उस दिन उनके मुखारविंद से सुना, की आप पार्टी ने एक सर्वे करवाया था, जिसमें २१ लाख लोगों ने हिस्सा लिया था। आहाहाहा। आप समझ रहे हो इसका मतलब? इतनी जबरदस्त फैंन–फोलोइंग है नरों में इस इंद्र की! और जैसा बताया गया, इस सर्वे को विभिन्न माध्यम से फलीभूत किया था और वैसे तो २ लोग ऑप्शन में रखे थे एक भगवंत मान और दूसरे नवजोत सिंह सिद्धू।


पर जैसा श्रीश्री ने कहा, कि भोली–मानस जनता, दिल्ली में आप का काम देख कर, दिल्ली के मुख्यमंत्री से ही आग्रह कर बैठी कि आप पंजाब के मुख्यमंत्री भी बन जाओ, पर जो व्यक्ति स्थितप्रज्ञ हो, उसके लिए क्या सत्ता, क्या कुर्सी? प्रभु को बोलना पड़ा, कि भाई, मैं दिल्ली का ही मुख्यमंत्री ठीक हूं। वैसे भी अभी तक २ प्रदेश का एक मुख्यमंत्री सुनने में नहीं आया, नहीं तो यह एक और क्रांति हो जाती।


मेरे हिसाब से तो केजरीवाल द्वारकाधीश कृष्ण से कम नहीं है, जो हर राज्य का उद्धार करते थे और फिर उस पर राज्य न करके उसी के उत्तराधिकारी को सौंप देते थे। केजरीवाल भी पंजाब का उद्धार करके, वहीं के संत भगवंत मान को सौंप देंगे। भगवान! कहां थे आप इतने सालों?


कोरोना के समय इनको अथक कार्य करते देखना था। पिछले साल प्रभु के मार्मिक अपील करते इतने विज्ञापन और इतनी बार देखने में आए, कि मैं एक बार तो खुद लट्ठ लेकर निकल गया था कि साला जहां कोरोना मिले, वहीं दफन कर दूंगा, पर हाय, वो वायरस तो हवा में था, कहीं से कहीं निकल गया और बाहर क्योंकि लॉकडाउन लगा हुआ था सो पुलिस के डर से मैं वापस घर लौट आया। नहीं तो एक मार्मिक अपील थाने से मुझे घर पर करनी पड़ती।


केजरीवाल अवधूत अवस्था को प्राप्त हो ही चुके हैं। बस भगवान बनने ही वाले हैं, पर अभी परमहंस होना बाकी है। यह युगंधर, बड़ा दूरदृष्टि वाला और पूरे देश का विचार करने वाला एक देवता है। वैसे दिल्ली को जिस उत्तम तरीके से संभाला है, उसके क्या कहने! क्या मुफ़्त नहीं है? बिजली मुफ्त, सफ़र मुफ्त, ये मुफ़्त, वो मुफ़्त। ऑक्सीजन घर–घर पहुंचानी थी, शराब की होम डिलीवरी करने लग गए। पहले–पहल मुझ नासमझ को ताव आ गया था इस पर, फिर श्रीश्री की दृष्टि से देखा और तब समझ में आया कि अब शराब से बड़ी ऑक्सीजन होती है क्या किसी मनुष्य के जीवन में? ये सौभाग्य की बात है कि ये महामानव अब संपूर्ण भारतवर्ष और उसके उत्थान की बात करने लग गए हैं। हमारे बीच आज स्वामी विवेकानंद फिर अवतरित हो गए हैं जैसे।


यह वो महामानव है जो, जो भी वस्तु नहीं चाहता, वही इसकी गोदी में आ गिरती है और प्रभु को विवश हो कर उसका वहन करना पड़ता है। जैसे अवधूत कभी कोई सरकारी पद नहीं लेना चाहते थे। लेकिन देखो, आज तीन–तीन बार मुख्यमंत्री बन गए हैं। छोटी गाड़ी चाहते थे, बड़ी में बैठना पड़ता है। अपने घर में रहने का विचार था, सीएम आवास में रहना पड़ रहा है।


दिल्ली को २०१८ तक लंदन और पेरिस बनाने चले थे, पर किन्हीं तकनीकी कारणों से २०२१ में वेनिस बना दिया। आहाहा, सड़कों पर नदियां बह रही थी। आपने कभी फ्लाईओवर से झरना गिरते देखा है? ये क्रांति सिर्फ एक युगपुरुष ही कर सकता है, कोई और नहीं। न भूतो न भविष्यति, ऐसा नज़ारा देखने को मिला था। चलो यूरोप तो पहुंच ही गए। इटली पहुंचे है, २०–३० साल दे दो तो फ्रांस और ब्रिटेन भी पहुंचा देंगे। इतना समय क्यों? अरे, आप समझते नहीं हो। पूरा धरती का भार उठाए यह दिल्लीश्वर, समस्त जम्बूद्वीप का उद्धार करने आया है। यह पूरे भारत को सूर्य जैसा देदीप्यमान बना देगा, और आप को दिल्ली का बस लंदन बनने का इंतजार है।


अभी पंजाब और उत्तराखंड, फिर गोवा, और फिर दूसरे प्रदेश, आज दिल्ली का मालिक, कल पूरे हिंदुस्तान पर शासन करेगा। जैसे आज हम मौर्य, गुप्त, चोला राजवंशों के बारे में पढ़ते और समझते हैं कि उस वक्त हम कैसे उन्नति के शिखर पर थे, वैसे ही, आने वाली पीढ़ियां केजरीवाल वंश के बारे में जानेंगी और जैसे आज हम राम और कृष्ण के भजन गाते हैं, वैसे ही इस अवधूत (परमहंस इन मेकिंग), के लोकगीत, भजन, किस्से और कहानियां और उदाहरण दिए जायेंगे।

शत्रुंजय

Leave a comment

Blog at WordPress.com.

Up ↑