तीन नीच – फ्रॉड लोगों की गाथा

अंदर बहुत दिनों से एक कुलबुलाहट मची पड़ी है, कि पिछली दफे इनकी तारीफ में कुछ शब्द कम पड़ गए थे, जो इस महान व्यक्तित्व के साथ बड़ा अन्याय था। मेरी आत्मा ने मुझे इतना कचोटा, कि न चाहते हुए भी इनकी गाथा लिखने को मुझे मज़बूर होना पड़ा। अब फ्रॉड लोगों को जितना नंगा करो उतना कम है। यहाँ तो तीन लोग है। और नंगा करने की इच्छा होती है। करते जाओ, करते जाओ, करते जाओ।

पिछले लेख से अब तक साल बदल चुके हैं, वो भी दो। परन्तु, इनका यशोगान कम होने का नाम नहीं लेता। आहाहा, कितना मनोरम दृश्य रहा होगा वह, जब इन्हें पुलिस ने ससम्मान उस इमारत से बाहर किया, जिसके मालिक होने का प्रचार इन्होंने बखूबी किया था। भई, आईआईटियन थे, यह बात अलग है कि यह कितना सच है, यह शायद ईश्वर को भी पता न होगा। झूठ की सतत चलने वाली फैक्ट्री और भिखारीपन की उच्चतम शिखर पर विराजमान रहने वाले महान व्यक्तित्व के धनी थे। बातें बहुत बड़ी-बड़ी करते थे। मजे लेने का बड़ा शौक था, फिर पुलिस ने और मौहल्ले वालों ने सार्वजनिक रूप से मजे लिए। इन चिंदीचोरों की कथा आज भी वहां काफी प्रचलित है।

एक कुत्ता भी पाला हुआ था। अभी भी साब का बड़ा वफादार होगा। क्यों न हो, कहते है ना, पानी से पानी मिले, मिले कीच से कीच, ज्ञानी से ज्ञानी मिले, मिले नीच से नीच? तो आप इन्हें उपरोक्त कोई भी संज्ञा दे सकते है। साब पानी तो आप पानी, साब नीच तो आप नीच। कहते है कुत्तों को घी हजम नहीं होता। बिल्कुल सही कहा है भाई। इन्हें सम्मानरूपी घी हज़म नहीं हुआ। इस कुत्ते ने साबित किया कि नीचता में यह भी कहीं कम नहीं है। और यह भी साबित किया कि कितना ही बेइज्जत करो, कितना ही जलील करो, इन्हें फ़र्क नहीं पड़ता। अब बेशर्म और नीच को मान क्या, अपमान क्या। जब कुत्ते बनने का गौरव मिला ही है तो कुकुरश्रेष्ठ बन के दिखाना है।

भाई, अब शर्म–इज्जत तो वैसे कुत्तों में भी होती है, पर यहां ये कुत्तों से थोड़े अलग है। अब मुंह मत खुलवाओ। कोड़ी की औकात नहीं है वैसे, करोड़ों में खेलने की बात करते थे। लालच था, कीचड़ में लोटने का बोल देते, वो भी कर देते। वफादार है। 

राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से अपना फायदा निकालने के लिए भिखारियों की तरह भटके, भीख मांगी और जैसा कि होता है, नेताओं ने इन ऐरे-गैरों को पिछवाड़े पर एक लात मार के बाहर कर दिया। बकायदा अखबारों में छपा था कि किस तरह सड़क पर नंगे भूखों की तरह विधवा–विलाप कर रहे थे। फिर यहां भटके, वहां भटके, इसको टोपी पहनाई, उसके दर पर किसी कुत्ते की तरह पड़े रहे। जब उस लड़के के सामने भीख मांग के लोट लगाने लगा गए थे ८-१० लाख की गाड़ी के मालिक, तो इन नेताओं के सामने तो मुजरा किया ही होगा इस नचनिए ने, साथ में अपने कुत्ते को भी नचाया होगा। उसकी औकात तो वैसे भी अर्दली की तरह कर ही दी थी। नेताओं को चाय–पानी पूछ रहा है किसी घटिया ढाबे के वेटर जैसे। और इसकी मां को लगा कि लड़का बस सीएम बनने ही वाला है। तेरा लड़का फ्रॉड और ज़लील है, मूर्ख। जेल में रहना था इसे, अभी भी बाहर घूम रहा है।

दो कौड़ी के अखबारों में नाम-फ़ोटो-ख़बर क्या छप गयी, स्थिति वैसी ही हो गयी जैसे चिन्दी मिलने पर लोग बजाज हो जाते हैं। एक बड़े अखबार से बड़ी-२ बातें करने लग गए। खुद महानीच, झूठे और टुच्चे, पर उस अंग्रेज़ी अखबार से सही और धर्म का साथ देने की बात बोल रहे थे जैसे युधिष्ठिर के बाद ये ही धर्मराज पैदा हुए हैं। जैसे होना था, उस अखबार वाले ने कभी इनका नाम नहीं छापा और फिर वही सड़क के कुत्ते जैसी हालत, इधर-उधर भौंकते फिरते रहे।

सीबीआई से भी न डरने वाले, पुलिस के कुत्ता बनाने के बाद भोपाल भाग गए। वहां भी वही बेवकूफ बनाने वाला और फ्रॉड काम चालू रखा। ‘हिजड़ों की फौज से किले नहीं जीते जाते’ यह दूसरों को बोलने वाला फर्जी आईएएस, शायद यह खुद के लिए बोलता था, यह तब पता चला जब यह खुद और उसका कुत्ता, हिजड़े बन राजनेताओं के सामने मुजरे करने लगे,.पर फिर भी उन नेताओं ने कोई रोटी, किसी पैसे का टुकड़ा भी नहीं फेंका। लोल।

वैसे तो इनका सच ट्विटर पर निकलने लग गया था। इनकी कंपनी का नाम डालो और सर्च करो। ट्विटर यूजर्स ने जो इनको नंगा किया है वो कभी नहीं हुआ होगा। एक पते पर तीन कंपनियां चलने का जौहर दिखाया इन्होंने। फरेब, झूठ, धोखेबाजी, मतलबी, लोगों का पैसे खाने वाला नीच, एक की चार लगाने वाला, घटिया, छोटी सोच वाला टुच्चा। शब्द खत्म हो रहे हैं, पर इस की तारीफ नहीं। दो चेहरे वाला दोगला, सर्व ज्ञान का ढोंगी ज्ञाता, बेशर्मों का बेताज बादशाह, लिखते–लिखते उंगलियां थक जाएंगी पर इन लोगों की नीच–गाथा खत्म न होगी। गायब कराने की धमकी देते रहे, पर खुद एक्सपोज हो गए। इतनी गिरे हुए है, कि पाताल भी पहले खत्म हो जाता है।

फिर एक दिन पुलिस का आगमन हुआ इनके यहां। पूरे मोहल्ले में इनका बाजे–गाजे के साथ नागरिक सम्मान हुआ। वहां की सारी दुकानों से इनके इस सम्मान के नज़ारे देखने नसीब हुए। सुनने में आया कि बड़ा हंगामा हुआ था। उस दिन दिग्दिगन्त में इनके ख्याति फैली। जिस इमारत के ये सम्राट बने फिरते थे, उसके असल मालिक ने भी कोर्ट केस कर दिया था। क्योंकि उसका पैसा भी नहीं दे रहे थे। अब वो नासमझ मालिक, इस जैसे भीखमंगे कभी कुछ देते हैं क्या? इन को तो हराम का खाने की आदत होती है। ऐसे नीच ईमान का कहां खाते है?

वैसे एक बात और मानना पड़ेगा, क्या सपूत जन्मे हैं इनकी माओं ने। एक अपनी मांँ को वेश्या (बोला तो कुछ और था) बोलता है। दूसरा अपनी माँ को बेवकूफ बनाता है। और इसकी माँ मूर्खों जैसी अपनी इस नीच औलाद की तारीफ में कसीदे काढ़ रही है। इस जैसी घटिया और गंदगी में डूबी औलाद से तो बेऔलाद होना अच्छा। पर क्या पता वो कोख ही गंदी होगी जहां से ऐसे नीच जन्मते हैं।

लड़कियों को रात को रोकना, उनका एमएमएस बनाने वाले महारथी। नीचता में प्रथम पायदान पर टिकने लायक सर्वगुण संपन्न। पुलिस ने इन तीनों को कुत्ता बनाया, फिर जलील किया, हालांकि इनको क्या फ़र्क पड़ा होगा, क्योंकि इनके तो मुंह पर थूक दो तो उसको भी पानी बना कर गटक ले। स्वाभिमान? वो क्या होता है? इन नीचों को उससे क्या।

वैसे तो दिखावे के लिए बहन भी थी। पर चार दिन में सच दिख जाता है, देखने वाले को। अब सामने वाले दुकानदारों को सच दिख गया, तो दूसरे अंधे थोड़ी है। बहन थी या कुछ और, ये शोध का विषय है। दिन में भैया और रात में सैय्यां वाला सिस्टम होगा। बराबर की झूठी लड़की। मानना पड़ेगा, गंदगी में तीनों में प्रतियोगिता हो रही हो जैसे।

दूसरों पर हंसना बहुत अच्छा है, उनका अपमान करना, मज़ाक उड़ाना बहुत अच्छा है। पर सर्वत्र हारे हुए गधे, मेरे फेंके हुए पैसे के टुकड़े पर पलने वाले अर्दली कुत्ते, तूने कौन सा बड़ा मीर मार लिया था? गले में कोई पट्टा डले कुत्ते की तरह भागता रहा उसके पीछे। मोहल्ले के सामने जलील होने के बाद आज वो हंस रहा है जो तब चुप था। गन्दी नाली के नीच कीड़े, वक़्त बड़ा होता है, पर तूझे अभी और भुगतना है यह समझने के पहले।

अब इन पतितों का कहना ही क्या। इतना पढ़ के वो शर्मिंदा होंगे, ऐसा लगता है क्या? वो तो ऐसे है, कि इसके बाद भी शर्म मरने की बजाए कल फिर दांत दिखाते हुए आपके सामने खड़े हो जाएंगे नया झूठ लेकर, नया कटोरा ले कर। भिखारीश्रेष्ठ हैंं, यही करेंगे तीनों, और क्या।

शत्रुंजय

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